Monday, December 30, 2013


रावेर तालुक्यातील सर्व विज्ञान शिक्षकांना २०१४ या नविन वर्षाच्या हार्दिक शूभेच्या



Friday, December 27, 2013

गणितज्ज्ञ भास्कराचार्य यांची ९०० वी जयंती

: भास्कराचार्य :


       प्राचीन भारतातील महान गणितज्ज्ञ व शास्त्रज्ञ म्हणून भास्कराचार्य ओळ्खले जातात. त्यांचा जन्म महाराष्ट्रात सन १११४ मध्ये झाला. १८ व १९ जानेवारी असे दोन दिवस पाटणदेवी परिसरात गणितज्ज्ञ भास्कराचार्य यांची ९०० वी जयंती साजरी करण्याचे नियोजन करण्यात आले आहे. २०१४ च्या प्रारंभी जयंती वर्षाला विविध कार्यक्रमाद्वारे सुरुवात होईल.

      त्यांचे वडील उत्कृष्ट गणितज्ज्ञ होते  त्यांचाकडेच त्यांनी गणिताचा श्रीगणेशा केला. आणि मग आपल्या अफाट बुद्धिसामर्थ्याच्या बळावर "भास्कराचार्य म्हणून नाव कमावले. वयाच्या छत्तीसाव्या वर्षी म्हणजे सन ११५० मध्ये त्यांनी "सिद्धांन्तशिरोमणी" हा ग्रंथ लिहिला. त्यामध्ये चार भाग केलेले आहेत. पहिल्या भागामध्ये अंकगणिताचे ज्ञान आहे. हा भाग काव्यात्मक आहे. या भागाला त्यांनी आपल्या मुलीचे "लिलावती" असे नाव दिले. या भागाला "पाटी गणित" असेही म्हणतात. त्याकाळात वापरात असलेल्या वजनामापाच्या एककापासून सुरूवात करून त्यानंतर बेरीज, वजाबाकी, गुणाकार, भागाकार, वर्ग व वर्गमूळ, घन व घनमूळ इत्यादि प्रमुख वीस अंकगणितीय क्रियांविषयी सविस्तर माहिती दिली आहे. तसेच त्रिकोण, चौकोन, वर्तुळाचे क्षेत्रफळ, गोलाचे घनफळ, कोन, पिरॅमिड्स, आदि भौमितिक आकृत्यांबाबतचे सिद्धांत व त्यावरील सोपी व्यावहारिक उदाहरणे दिली आहेत. दुसरा भाग बीजगणिताचा आहे. त्यामध्ये धन व ऋण चिन्हांची कल्पना मांडली आहे. याशिवाय शून्यासंबंधी काही नियम सांगितले आहेत. बीजगणिताची मांडणी सोपी व सुटसुटीत करण्यात भास्कराचार्यांचा मोलाचा वाटा आहे. सिद्धांतशिरोमणीचे "महागणिताध्याय""गोलाध्याय" असे आणखी दोन भाग असून त्यामध्ये भास्कराचार्यांनी ग्रह व त्यांची गती, अवकाश आदिंची चर्चा केली आहे. दिवसापेक्षाही कमी कालावधीत सूर्याच्या स्थानात सतत बदल होत असतो व हा बदल सर्व कालावधीत सारखाच असतो, हे त्यांनी दाखवून दिले.

Wednesday, December 25, 2013

प्राचीन भारत के महान वैज्ञानिक : भास्कराचार्य


इतिहास में दो भास्कराचार्यों की चर्चा मिलती है। इनमें से भास्कराचार्य प्रथम का जन्म ईसा बाद नौवीं शताब्दी में हुआ था। उपलब्ध साक्ष्यों से यह जानकारी मिलती है कि वे दर्शन तथा वेदान्त के प्रकांड पंडित एवं ज्ञाता थे। उनके द्वारा दर्शन शास्त्र तथा वेदान्त से सम्बन्धित अनेक महत्त्वपूर्ण ग्रन्थों की रचना हुई थी। यहाँ हम विशेष चर्चा भास्कराचार्य द्वितीय की करेंगे जो महान वैज्ञानिक होने के साथ साथ गणित तथा खगोल शास्त्र के प्रकांड पंडित तथा ज्ञाता थे। उनका जन्म सन १११४ ई. में हुआ था। उनके पिता का नाम महेश्वराचार्य था तथा वे भी गणित के एक महान विद्वान थे।
भास्कराचार्य के जन्म स्थान के सम्बन्ध में दो प्रकार के मत व्यक्त किए गए हैं। कुछ विद्वानों का मानना है कि उनका जन्म मध्य प्रदेश के बिदूर या बिदार नामक स्थान पर हुआ था। जबकि कुछ अन्य विद्वानों के मतानुसार उनका जन्म बीजापुर नामक स्थान पर हुआ था जो आज कल कर्नाटक राज्य में स्थित है। भास्कराचार्य द्वितीय का जन्म बिदार में हुआ अथवा बीजापुर में यह विषय एक गहन तर्क वितर्क का हो सकता है। परन्तु विद्वानों के बीच इस बात पर कोई भी मदभेद नहीं है कि भास्कराचार्य का कर्म क्षेत्र उज्जैन था जो आज कल मध्य प्रदेश नामक राज्य में स्थित है। वे प्रायः उज्जैन में ही रहा करते थे तथा यहीं रह कर उन्होंने सभी प्रकार के अध्ययन एवं शोध कार्य किए। उज्जैन स्थित ज्योतिषीय वेधशाला के प्रधान के रूप में वे काफी लम्बे समय तक कार्य करते रहे। इसी स्थान पर रह कर उन्होंने कई ग्रन्थों की रचना की जो काफी लोकप्रिय एवं प्रसिद्ध हुए।
चूँकि भास्कराचार्य के पिता महेश्वराचार्य एक उच्च कोटि के गणितज्ञ थे अतः उनके सम्पर्क में रहने के कारण भास्कराचार्य की अभिरूचि भी इस विषय के अध्ययन की ओर जागृत हुई। उन्हें गणित की शिक्षा मुख्य रूप से अपने पिता से ही प्राप्त हुई। धीरे-धीरे गणित का ज्ञान प्राप्त करने की दिशा में उनकी अभिरूचि काफी बढ़ती गई तथा इस विषय पर उन्होंने काफी अधिक अध्ययन एवं शोध कार्य किया। जब उनकी अवस्था मात्र बत्तीस वर्ष की थी तो उन्होंने अपने प्रथम ग्रन्थ की रचना की। उनकी इस कृति का नाम रखा गया ‘सिद्धान्त शिरोमणि’। उन्होंने इस ग्रन्थ की रचना चार खंडों में की थी। इन चार खण्डों के नाम हैं- पारी गणित, बीज गणित, गणिताध्याय तथा गोलाध्याय। पारी गणित नामक खंड में संख्या प्रणाली, शून्य, भिन्न, त्रैशशिक तथा क्षेत्रमिति इत्यादि विषयों पर प्रकाश डाला गया है। बीज गणित नामक खंड में धनात्मक तथा ऋणात्मक राशियों की चर्चा की गई है तथा इसमें बताया गया है कि धनात्मक तथा ऋणात्मक दोनों प्रकार की संख्याओं के वर्ग का मान धनात्मक ही होता है। इसी खंड में किसी भी त्रिभुजाकार क्षेत्र के कर्ण की लम्बाई का अनुमान लगाने की विधि को काफी रोचक उदाहरणों के द्वारा बताया गया है। एक उदाहरण इस प्रकार है। एक स्तम्भ के आधार पर स्थित एक बिल के ठीक नौ हाथ ऊपर एक मोर बैठा हुआ है। उस मोर ने २७ हाथ की दूरी पर एक साँप को उपर्युक्त बिल की ओर आते हुए देखा और तिरछी चाल से उसकी ओर झपटा। अब बताएँ कि मोर ने बिल से कितना दूर पर साँप को पकड़ा होगा?
इस खंड में बताया गया है कि दो ऋणात्मक संख्याओं के गुणनफल का मान धनात्मक होगा। यही बात भाग की क्रिया के लिए भी लागू होती है। अर्थात् किसी एक ऋणात्मक संख्या में किसी दूसरी ऋणात्मक संख्या से भाग देने पर भागफल का मान धनात्मक होगा। भास्कराचार्य ने बताया कि किसी धनात्मक संख्या में किसी ऋणात्मक संख्या से गुणा करने पर गुणनफल का मान ऋणात्मक होगा। इसी प्रकार किसी धनात्मक संख्या में किसी ऋणात्मक संख्या से भाग देने पर भागफर का मान ऋणात्मक होगा। इसी खंड में बताया गया है कि किसी संख्या में शून्य से भाग देने पर भागफल का मान अनन्त होगा। उन्होंने किसी वृत्त की परिधि तथा उसके व्यास के बीच अनुपात (अर्थात् च) का मान ३.१४१६६ निकाला जो आधुनिक गणितज्ञों द्वारा निर्धारित मान के काफी निकट है।
सिद्धान्त शिरोमणि के गणिताध्याय नामक खंड में ग्रहों के बीच सापेक्षिक गति तथा ग्रहों की निरपेक्ष गति की चर्चा के साथ-साथ काल, दिशा तथा स्थान सम्बन्धी समस्याओं के समाधान पर प्रकाश डाला गया है। इसके अलावा सूर्य ग्रहण, चन्द्र ग्रहण इत्यादि विषयों की चर्चा की गई है। सिद्धान्त शिरोमणि के गोलाध्याय नामक खंड में विभिन्न ग्रहों की गति तथा ज्योतिष सम्बन्धी यन्त्रों की कार्य प्रणाली पर पर प्रकाश डाला गया है। इसी अध्याय में उन यन्त्रों का विवरण दिया गया है जिनके द्वारा भास्कराचार्य ने अनेक प्रकार के खगोलीय पर्यवेक्षण किए थे तथा खगोल विज्ञान सम्बन्धी नियमों का प्रतिपादन किया था।
भास्कराचार्य द्वारा एक अन्य प्रमुख ग्रन्थ की रचना की गई थी जिसका नाम था ‘सूर्य सिद्धान्त’। इस ग्रन्थ में बताया गया है कि हमारी पृथ्वी गोल आकृति की है और यह सूर्य के चारों ओर एक निश्चित कक्षा में अनवरत परिक्रमा करती रहती है। उस समय भारत के लोगों के मन में एक गलत धारणा थी कि पृथ्वी शेषनाग के सिर पर टिकी हुई है। भास्कराचार्य ने बताया कि यह धारणा बिलकुल निर्मूल है। वास्तविकता यह है कि पृथ्वी अन्तरिक्ष में बिना कोई आधार के टिकी हुई है। वस्तुतः सूर्य, ग्रह तथा अन्य सभी खगोलीय पिण्ड एक दूसरे को आकर्षित करते रहते हैं तथा इसी आकर्षण बल के सहारे सभी खगोलीय पिण्ड टिके हुए हैं। भास्कराचार्य द्वितीय द्वारा एक अन्य प्रमुख ग्रन्थ की रचना की गई जिसका नाम है ‘लीलावती’। कहा जाता है कि इस ग्रन्थ का नामकरण उन्होंने अपनी लाडली पुत्री लीलावती के नाम पर किया था। इस ग्रन्थ में गणित और खगोल विज्ञान सम्बन्धी विषयों पर प्रकाश डाला गया था। सन ११६३ ई. में उन्होंने ‘करण कुतूहल’ नामक ग्रन्थ की रचना की। इस ग्रन्थ में भी मुख्यतः खगोल विज्ञान सम्बन्धी विषयों की चर्चा की गई है। इस ग्रन्थ में बताया गया है कि जब चन्द्रमा सूर्य को ढक लेता है तो सूर्य ग्रहण तथा जब पृथ्वी की छाया चन्द्रमा को ढक लेती है तो चन्द्र ग्रहण होता है।
भास्कराचार्य द्वारा लिखित ग्रन्थों का अनुवाद अनेक विदेशी भाषाओं में किया जा चुका है। मुगल सम्राट अकबर के दरबारी फैजी द्वारा लीलावती नामक ग्रन्थ का अनुवाद अरबी भाषा में किया गया। कोलब्रुक नामक एक यूरोपीय विद्वान द्वारा लीलावती का अनुवाद अंग्रेजी भाषा में किया गया। भास्कराचार्य द्वारा लिखित ग्रन्थों ने अनेक विदेशी विद्वानों को भी शोध का रास्ता दिखाया। कई शताब्दियों के बाद केपलर तथा न्यूटन जैसे यूरोपीय वैज्ञानिकों ने जो सिद्धान्त प्रस्तावित किए उन पर भास्कराचार्य द्वितीय द्वारा प्रस्तावित सिद्धान्तों की स्पष्ट छाप मालूम पड़ती है। ऐसा लगता है जैसे अपने सिद्धान्तों को प्रस्तुत करने के पूर्व उन्होंने अवश्य ही भास्कराचार्य के सिद्धान्तों का अध्ययन किया होगा। भास्कराचार्य का देहावसान सन ११७९ ई. में ६५ वर्ष की अवस्था में हुआ। हालाँकि वे अब इस संसार में नहीं हैं परन्तु अपने ग्रन्थों एवं सिद्धान्तों के रूप में वे सदैव अमर रहेंगे तथा वैज्ञानिक शोधों से जुड़े सभी लोगों का पथ-प्रदर्शन करते रहेंगे। भास्कराचार्य के पुत्र लक्ष्मीधर भी गणित एवं खगोल शास्त्र के महान विद्वान हुए। फिर लक्ष्मीधर के पुत्र गंगदेव भी अपने समय के एक महान विद्वान माने जाते थे। इस प्रकार हम देखते हैं कि भास्कराचार्य के पिता महेश्वराचार्य से प्रारम्भ होकर भास्कराचार्य के पोते गंगदेव तक उनकी चार पीढ़ियों ने विज्ञान की सेवा में अपना बहुमूल्य योगदान दिया। परन्तु जितनी प्रसिद्धि भास्कराचार्य को मिली उतनी अन्य लोगों को नहीं मिल पाई।

Sunday, August 4, 2013


अखिल भारतीय विद्यार्थी विज्ञान परिसंवाद 2013


विषय: पाणी सहकार्य : ‘’मुद्दे आणि आव्हाने’’

तारीख: 05/08/2013

स्थळ: सौ. कमलाबाई गल्स् हायस्कूल, रावेर, ता. रावेर, जि. जळगाव

वेळ: सकाळी 10.00 वा.

तरी एका माध्यमिक शाळेतील एका विद्याथ्याला सहभागी होता येणार आहे.


Thursday, July 4, 2013

अखिल भारतीय विज्ञान मेळावा २०१३

अखिल भारतीय विज्ञान मेळावा २०१३

(८ वि ते १० वी च्या विद्याथ्यान साठी )

National Science Seminar 2013

(For Students of Class VIII to X)

विषय : पाणी सहकार्य मुद्दे आणि आव्हाने

Subject : Water Co-operation Issues & Challenges




 Website : http://www.nehrusciencecentre.gov.in/

Thursday, May 30, 2013

विज्ञान प्रदर्शन २०१३-१४ मुख्य विषय व उपविषय


२०१३-१४ मुख्य विषय : वैज्ञानिक आणि गणिती नव कल्पना

उपविषय :   १. कृषी (Agriculture)
                 
                  २. ऊर्जा (Energy)
                 
                  ३. आरोग्य (Health)
                
                  ४. पर्यावरण (Enviroment)
               
                  ५. स्त्रोत (Resources)

Thursday, April 11, 2013

जळगांव जिल्ह्यात फिरते विज्ञान प्रर्दशन

रावेर तालुक्यातीला सर्व विज्ञान शिक्षकांसाठी

    जळगांव जिल्ह्यात नेहर विज्ञान केंद्र, मुंबई यांच्या मार्फत फिरते विज्ञान प्रर्दशन जुलै ते सप्टेंबर २०१३ या

महिनयात येणार आहे. हि चलायमान बस संपूर्ण जळगांव जिल्ह्यातील सर्व तालुक्यांम‌ध्ये फिरणार आहे.

रावेर तालुक्यातील खालील माध्यमिक शाळांची निवड करण्यात आली आहे.

१. माध्य. विद्यालय, तांदलवाडी

२. यशवंत विद्यालय, रावेर

३. स्वामी विवेकानंद विद्यालय, रावेर

४. माध्य. विद्यालय, मस्कावद

५. माध्य. विद्यालय, निंभोरे

 

Saturday, March 9, 2013

INTERNATIONAL YEAR OF STATISTICS PRAISES CONTRIBUTIONS OF WOMEN STATISTICIANSON INTERNATIONAL WOMEN’S DAY


International Year of Statistics PRAISES CONTRIBUTIONS OF WOMEN STATISTICIANSON INTERNATIONAL WOMEN’S DAY
Statistics 2013 participants laud women statisticians
for advancing statistical sciences

Raver, Maharashtra, India , MARCH8, 2013—The Raver Taluka Science Teacher Association, Raver and the more than 1,775 organizations in 121 countriesparticipating in the International Year of Statistics (Statistics2013) todayjoin women around the world in the celebration of International Women’s Day.
Observed each year on March 8, International Women's Dayis a global day celebrating the economic, political and social achievements of women past, present and future. In places like China, Russia, Vietnam and Bulgaria, International Women's Day is a national holiday. The event has been observed since the early 1900s, which was a time of great expansion and turbulence in the industrialized world that saw booming population growth and the rise of radical ideologies.

Statistics2013 is a worldwide initiative that is highlighting the contributions of the statistical sciences to finding solutions to global challenges. Raver Taluka Science Teacher Association, Raver is a Statistics2013 participating organization.
Like their counterparts in other professional fields, women pioneers in the statistical sciences have made outstanding and trailblazing contributions to their profession and have opened the field to more women.
“We salute the world’s women this International Women’s Day—a special day dedicated to them and their achievements past, present and future,” says  Mr. Sandeep D. Patil   “The statistical sciences profession and our global society has greatly benefited from the groundbreaking contributions of women statisticians including Florence Nightingale, who used statistics to modernize health care; Dr. Janet Lane-Claypon,who made several important contributions to epidemiology by using and improving its use of statistics; and Janet Norwood, who as the first woman commissioner of the U.S. Bureau of Labor Statistics made major contributions to government statistics.”
Today, the number of women among mathematicians and statisticians equals the number of men, says a U.S. Census Bureau American Community Survey report. Further, women statisticians are influential in many countries—41 of the world’s 190 statistical offices were headed by women in 2010, says The World’s Women 2010: Trends and Statistics, a report commissioned by the United Nations. Lastly, women have earned more than 40% of math and statistics bachelor’s degrees throughout the past four decades.
In honor of women worldwide, today and through the weekend on its website (www.statistics2013.org)Statistics 2013features the International Women’s Day logo as well as several special articles and items that highlight the important contributions of women statisticians, including:
·         Blog posts written by members of the American Statistical Association’s Committee for Women in Statistics and the Caucus for Women in Statistics
·         A self-authored “Statistician Job of the Week” articleby the Smithsonian Institution’s chief mathematical statistician, Dr. Lee-Ann Hayek
·         A “Statistic of the Day” focused on the influence of women worldwide
·         An insightful“Quote of the Day” from female trailblazing statistician Florence Nightingale
·         A “Statisticians in the News” article that profiles a prominent female statistician from Oregon State University
·         Links to profiles of several influential female statisticians from the past and present
The goals of Statistics2013 are to increase public understanding of the power and impact of statistics on all aspects of society and to nurture statistics as a profession among high-school and college students. Participants include national and international professional societies, universities, schools, businesses, government agencies and research institutes. These groups are educating millions of people about the contributions of the statistical sciences through seminars, workshops and outreach to the media.
About Raver Taluka Science Teacher Association, Raver
Raver Taluka Science Teacher Association is organisation of Raver Taluka science Teacher's For additional information, please visit www.ravertalukascienceteacher.blogspot.com or call 7875925170.
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For more information:
Mr. Sandeep Digambar Patil
Mobile No. : 7875925170

Monday, February 25, 2013

 International Year of Statistics



Raver Taluka Science Teacher Association  is proud to announce that it is participating in the International Year of Statistics 2013, a worldwide celebration of the contributions of statistical science to the advancement of our global society.
More than 700 organizations--universities, research institutes, high schools, professional societies, government agencies and businesses--in nearly 100 countries are joining to celebrate and promote the importance of statistical science to the science community, businesses, governments, the news media, policymakers, employers, students and the public.
During this yearlong celebration, our Department and the hundreds of other participating organizations around the world will be:

* Increasing public awareness of the power and impact of statistics on all aspects of our society

* Nurturing statistics as a profession, especially among high-school and college students

* Promoting creativity and development in the sciences of probability and statistics

Saturday, February 23, 2013



रामन इफेक्ट
सर चंद्रशेखर व्यंकट रामन यांना ज्या शोधाबद्दल नोबेल पारितोषिक मिळाले तो शोध "रामन इफेक्ट" या नावाने प्रसिद्ध आहे. या संशोधनासाठी त्यांनी केवळ दोनशे रुपयाची साधने वापरली होती. सन १९२१ मध्ये रामन यांना कलकत्ता विद्यापीठाचे प्रतिनिधी म्हणून ब्रिटनला पाठविण्यात आले. तेथे रॉयल सोसायटीच्या सभेत निबंध वाचून झाल्यावर समुद्रमार्गे परतत असताना आकाशाच्या निळ्या रंगाबद्दल त्यांचे कुतुहल जागृत झाले. भारतात आल्यावर त्यांनी पाणी आणि बर्फ यावरून होणार्या प्रकाशाच्या प्रकीर्णनावर संशोधन चालू केले. त्याआधारे पाणी आकाश यांच्या निळ्या रंगाची कारणमीमांसा स्पष्ट केली.पारदर्शक पदार्थातून एक रंगी प्रकाशाचे प्रखर किरण गेले तर कय होईल याचा अभ्यास करीत असताना मिळणार्या वर्णपटात एक विशेष गोष्ट त्यांना आढळली. मूळ एक रंगी प्रकाशाशिवाय इतर अनेक कंपन संख्या असणार्या रेषा वर्णपटात उमटल्या होत्या. याचाच अर्थ पारदर्शक पदर्थातून जाताना प्रकाशाचे प्रकीर्णन झाले असा होतो. हाच तो रामन इफेक्टचा शोध होय. हा शोध २८ फेब्रुवारी १९२८ रोजी लागला. रासायनिक रेणूंची संरचना समजण्यासाठी या रामन परिमाणाचा उपयोग होतो. रामन यांच्या शोधानंतर केवळ दहा वर्षात दोन हजारापेक्षा जास्त संयुगांची रचना रामन परिमाणाच्या सहाय्याने निश्चित करण्यात आली.

Organizing National Science Day - 2013 Celebrations

Focal theme selected for NSD- 2013 is: ‘Genetically Modified Crops and Food Security - Issues and Prospects’

Suggested Activity for NSD-2013 Celebrations :
i. Popular Lecture/Demonstration on the advancement of technology
ii. Popular Science Slide Shows/Film shows
iii. Seminars, Symposia workshops on the focal theme
iv. University/College seminar colloquium
v. Puppet shows and street theatre programmes
vi. Folk form of communication about progress of S&T
vii. Quiz competition, Elocution, Painting competition, etc.
viii. Village/Block level Debates/competitions and group discussion
ix. S&T popularization activities
x. Thematic S&T Exhibition and open house in R&D Centres/Organizations