राष्ट्रीय बाल श्री
सम्मान योजना
सजृनात्मकता ही संसार में वो सब ले आती है, जिसका
अस्तित्व पहले इस संसार में न रहा हो - एक नया विचार, एक नया
चिंतन - इन सबसे संसार और मानवता के क्षेत्र में क्रांति आ सकती है। जब सबसे पहले
चक्र बनाने का विचार मानव के मस्तिष्क में कौंधा, तो उस समय
सृजनात्मकता अपने चरम पर थी, जिसने संसार की रीति को हमेषा
के लिए बदल दिया। सृजनात्मकता केवल कला से ही संबंधित नहीं है, यह हर उस चीज से जुड़ी है, जो मानव से संबंधित है।
खोज और अनुसंधान की सीमा हो सकता है, क्योंकि यह केवल उसी पर
हो सकते हैं, जो अस्तित्व में है, किंतु
सृजनात्मकता असीम और निर्बाध है।
सामान्यतः सृजनात्मकता के महत्व के संदर्भ में जागरूकता का अभाव होने
के कारण सृजनात्मक क्षमता से युक्त बच्चे उपेक्षित हो जाते हैं अथवा कुछ तुच्छ
कार्यों में लगकर उनकी सृजनात्मक क्षमता को कुचल दिया जाता है। सृजनात्मक क्षमता
को बचपन में ही पहचानना जरूरी होता है, क्योंकि यह एक बीज की भांति है, जो कि उपयुक्त वातावरण मिलने पर अंकुरित और विकसित होता है। बच्चों में
विद्यमान इस छिपी अथवा प्रकट सृजनात्मक क्षमता को पहचानने तथा संपोषित करने के लिए
ही सन् १९९३ में बाल श्री योजना की संकल्पना की गई। गहन विचार-विमर्ष के पष्चात्
१९९५ में इस योजना को प्रारंभ किया गया।
‘बाल'
का अर्थ है बच्चा और ‘श्री' लालित्य, सौंदर्य, कीर्ति का द्योतक है तथा प्रभामण्डल के लिए
भी इसका प्रयोग किया जाता है। धन' और विद्या' की देवी को भी श्री' कहा जाता
है। इस प्रकार, ‘बाल श्री' विषेषण अद्वितीय क्षमताओं तथा मौलिक चिंतन युक्त
नवप्रायोगिक कार्यों के प्रति उत्साह रखने वाले बच्चों के लिए नितांत उपयुक्त है,
जो कि न केवल अपने जीवन को गौरवान्वित करने वाले हैं अपितु श्रेष्ठ
समाज के निर्माण में भी अहम भूमिका निभाने वाले हैं।
सृजनात्मक क्षमता को
पहचानने हेतु निर्धारित सृजनात्मक अभिव्यक्ति के विषय क्षेत्र
बाल श्री सम्मान ९-१६
वर्ष तक की आयु वर्ग के बच्चों के सृजनषील बच्चों को अभिव्यक्ति के निम्नलिखित
विषय क्षेत्रों में प्रदान किया जाता है :
सृजनात्मक प्रदर्षन कला
सृजनात्मक कला
सृजनात्मक वैज्ञानिक
नवीकरण
सृजनात्मक लेखन
बाल श्री सम्मान योजना में शामिल हैं :
एक फलक
एक प्रषस्ति पत्र
नकद पुरस्कार (विकास
पत्र)
पुस्तकें
(बाल रुचि की पुस्तकें)
क्षेत्रीय तथा राष्ट्रीय स्तर के लिए चयनित सभी बच्चों की सृजनात्मक
क्षमताओं का सम्मान करते हुए उन्हें सहभागिता प्रमाणपत्र प्रदान किया जाता है।जो
बच्चे राष्ट्र स्तरीय बाल श्री चयन प्रक्रिया तक पहुँचते हैं, उनके लिए भारत सरकार की ओर से धन
राषि के रूप में विषेष प्रोत्साहन योजनाओं की घोषणा की गई है।
९-१४
वर्ष तक की आयु वर्ग के बच्चों को राष्ट्रीय बाल भवन की ओर से एकमुष्त रु. ५०००/-
प्रदान किये जाते हैं।
१४-१६ वर्ष तक की आयु
वर्ग के बच्चों को एन.सी.ई.आर.टी. की ओर से कलात्मक और प्रायोगिक उत्कृष्टता हेतु
चाचा नेहरू छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है। रु. ५००/- प्रति माह की एक अन्य
छात्रवृत्ति कक्षा नवीं से बारहवीं तक पढ़ने वाले विद्यार्थियों को, बारहवीं
कक्षा की पढ़ाई पूरी करने तक प्रदान की जाती है।
बाल श्री सम्मान प्राप्त करने वाले बच्चों की सृजनात्मकता के आगामी
संपोषण हेतु उन्हें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रमों में भाग लेने हेतु तथा
सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम के अंतर्गत विभिन्न देषों में आमंत्रित किया
जाता है।
राष्ट्रीय बाल श्री सम्मान योजना में भागीदारी
(क) ९-१६ वर्ष तक का कोई भी
बच्चा राज्य बाल भवन अथवा राष्ट्रीय बाल भवन के माध्यम से अथवा अपने स्कूल के माध्यम से
वैयक्तिक रूप से नामांकन करके इस योजना में भाग ले सकता है।
(ख) भागीदारी के लिए तीन आयु
वर्ग निर्धारित किये गए हैं
(।) ९(+) से (-) ११ वर्ष
(।।) ११(+) से (-) १४ वर्ष
(।।।) १४ (+) से (-) १६ वर्ष
नोट : प्रतिभागियों की आयु की
गणना भागीदारी वर्ष के अपै्रल माह की पहली तारीख को की जाएगी।
बालश्री सम्मान योजना के नियम
१.
प्रतिभागी की आयु प्रतिभागिता वर्ष की 01 अपै्रल
की तिथि को ९ वर्ष से कम तथा १६ वर्ष से
अधिक नहीं होनी चाहिए।
२.
तीन आयु वर्ग होंगे - ९ से ११ वर्ष, ११+ से १४ वर्ष तथा १४+ से १६ वर्ष। अभ्यर्थी का आयु
वर्ग
प्रतिभागिता वर्ष की 01 अपै्रल की तिथि को उसकी आयु के आधार पर निर्धारित
किया जाएगा।
३.
जैसा कि वर्ष २००१ से राज्य बाल भवनों को सूचित किया जाता रहा है, एक बच्चा
बाल श्री चयन प्रक्रिया में किसी
भी स्तर पर (स्थानीय / क्षेत्रीय / राष्ट्रीय) अधिकतम दो बार ही भाग ले सकता है, और वह भी
उस स्थिति में जब दूसरी बार भाग लेते समय उसका विषय-क्षेत्र अथवा आयु
वर्ग भिन्न हो। एक बार बाल श्री सम्मान प्राप्त होने पर किसी बच्चे को दोबारा बालश्री चयन प्रक्रिया
में भाग लेने की अनुमति नहीं होगी।
४. डेढ़ दिन के स्थानीय बालश्री षिविर का आयोजन अनिवार्य है तथा इसे
प्रत्येक संबद्ध राज्य बाल भवन/बाल केन्द्र द्वारा जुलाई के
प्रथम/द्वितीय सप्ताह में आयोजित किया जाना चाहिए, जिसके अंतर्गत सुनिष्चित प्रष्नात्मक गतिविधि
अभ्यास तथा मूल्यांकन प्रणाली हो।
५. योजना के नियमों के
अनुसार स्थानीय स्तर पर भाग लेने वाले बच्चों के परीक्षण की पूर्ण
जिम्मेदारी ÷स्थानीय स्तर
की चयन प्रक्रिया' को आयोजित करने वाले राज्य बाल भवनों/बाल
केन्द्रों की होगी। राज्य
बाल भवनों की ओर से अथवा राज्य बाल भवनों द्वारा नामांकित बच्चों
की ओर से यदि कोई
भ्रामक/गुमराह करने वाली जानकारी प्रस्तुत की जाती है, तो ऐसी
स्थिति में
राज्य बाल भवन की
सम्बद्धता समाप्त की जा सकती है तथा उस बच्चे का नामांकन निरस्त कर
दिया जाएगा।
६. प्रत्येक सम्बद्ध बाल भवन/बाल केंद्र के स्थानीय स्तर की बालश्री चयन
प्रक्रिया का परिणाम, परीक्षण के लिए अपनाए गए
अभ्यासों/प्रष्नों, चयन प्रक्रिया में सम्मिलित विषेषज्ञों के स्ववृत्त
(बायोडाटा) सहित चयनित उम्मीदवारों के नामांकन-पत्र अधिकतम ३१ जुलाई तक राष्ट्रीय बाल भवन तक
पहुँच जाने चाहिएं। जुलाई माह के पष्चात प्राप्त होने वाले नामांकनों पर राष्ट्रीय
बाल भवन द्वारा क्षेत्र स्तरीय षिविरों के लिए विचार नही किया जाएगा।
७. जिन राज्य बाल भवनों के साथ बाल
केन्द्र संबद्ध हैं, वे अनिवार्य रूप से यह सुनिष्चित करें
कि इन बाल केंद्रों के नामांकन भी इसी चयन प्रक्रिया का अनुसरण करने के पष्चात्
ही भेजे जाएं। बाल केन्द्रों से चयनित बच्चे सम्बद्ध बाल भवनों द्वारा नामांकित ८
बच्चों के अंतर्गत ही होने चाहिएं। ऐसे बाल केन्द्रों स,े जो
राष्ट्रीय बाल भवन से सम्बद्ध नहीं हैं, अतिरिक्त नामांकनों
की अनुमति नहीं होगी।
८. यदि किसी पूर्व नामांकित
उम्मीदवार का नामांकन फार्मों की छँटनी करते हुए अथवा किसी अप्रत्याषित कारण से निरस्त
किया जाता है, तो ऐसी
स्थिति में नया नामांकन स्वीकार नहीं किया जाएगा।
९. जहाँ कोई बाल भवन नहीं है,
वहाँ राष्ट्रीय बाल भवन मुख्य सचिवों से बच्चों को नामांकित करने का
अनुरोध करेगा।
१०. विषेष वर्ग के बच्चों की
अधिक सहभागिता सुनिष्चित करने के लिए, सम्बद्ध बाल भवनों के साथ-ही-साथ राज्य के मुख्य
सचिवों से भी प्रत्येक विषय क्षेत्र के अंतर्गत सामान्य श्रेणी में से दो बच्चों
तथा कुल सभी क्षेत्रों में किसी एक बच्चे को नामांकित कर सकते हैं। इस प्रकार
सम्बद्ध बाल भवनों तथा मुख्य सचिवों द्वारा नौ (८+१) यानि प्रत्येक विषय क्षेत्रों
के अन्तर्गत २ बच्चे और एक विषेष वर्ग के अन्तर्गत (यदि हो तो) 1 बच्चा। बच्चों को नामांकित किया जा सकता है। इसी प्रकार सम्बद्ध बाल
केंद्र पाँच (४+१) बच्चों को नामांकित कर सकते हैं अर्थात् प्रत्येक विषय क्षेत्र
के अंतर्गत 1 बच्चा और विषेष श्रेणी के अंतर्गत 1 बच्चा (यदि हो तो)।
११. सम्बद्ध बाल भवनों को
बच्चे के नाम, आयु,
जन्म तिथि तथा सहभागिता के क्रम की प्रमाणिकता के संदर्भ में रूपये
१०/- के स्टाम्प पेपर पर एक षपथ-पत्र, जन्म तिथि प्रमाण-पत्र
की सत्यापित प्रति के साथ जमा कराना होगा। इसके अतिरिक्त रूपये १०/- के स्टाम्प
पेपर पर अभिभावकों से एक षपथ-पत्र भी लिया जाएगा कि वे निर्णायक-मण्डल के निर्णय
को अंतिम मानेंगे।
१२. बच्चे को नामांकित करते समय नामांकनकर्ता यह अवष्य सुनिष्चित कर लें
कि बच्चा वास्तव में सृजनषील, नवीन विचारों से युक्त है तथा उसमें मौलिकता का गुण
विद्यमान है।
१३. क्षेत्रीय स्तर के लिए, बालश्री
षिविर को क्षेत्रीय केन्द्र प्रति विषय क्षेत्र के चार विषेषज्ञों के स्ववृत्त
भेजेगा, जिनमें से राष्ट्रीय बाल भवन किन्हीं दो का चयन
करेगा। यह ध्यान रखा जाए कि ऐसे ही विषेषज्ञों के स्ववृत्त भेजे जाएं, जो स्थानीय स्तर के चयन में भागीदार न रहे हों तथा क्षेत्र स्तर के चयन
प्रक्रिया में भाग लेने वाले किसी भी बच्चे से किसी भी रूप में संबंधित न हों।
१४. केवल सहभागी होना ही चयन को सुनिष्चित नहीं करता। चयन, प्रतिभागी
की सृजनषीलता के स्तर पर निर्भर करेगा तथा इसलिए चयन के संदर्भ में कोई
पूर्वानुमान करना उचित नहीं है।
१५. बाह्य विषेषज्ञ
(निर्णायक मंडल के सदस्य), जो स्थानीय/क्षेत्रीय/राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिभागियों
का मूल्यांकन करेंगे वे उस विषय क्षेत्र के प्रतिष्ठित, सृजनषील
व्यक्ति होने चाहिएं, जिस क्षेत्र के अंतर्गत वे बच्चों का
मूल्यांकन कर रहे हों तथा बच्चों के साथ कार्य करने का उन्हें अनुभव हो। वे बच्चों
में सृजनषीलता की चिंगारी को पहचानने में समर्थ हों तथा कौषल और सृजनषीलता के भेद
को समझने की क्षमता रखते हों।
१६. प्रत्येक विषय क्षेत्र-
सृजनात्मक कला, प्रदर्षन
कला, लेखन तथा वैज्ञानिक नवीकरण हेतु बच्चों का मूल्यांकन
करने वाले विषेषज्ञ संबंधित क्षेत्रों से ही होने चाहिए ताकि प्रतिभागियों की
सृजनषीलता का सही मूल्यांकन किया जा सके।
१७. राष्ट्रीय स्तर पर, निर्णायक-मंडल
द्वारा किया गया चयन, राष्ट्रीय बाल भवन का विषेषाधिकार है।
सभी स्तरों पर निर्णायक-मंडल का निर्णय अंतिम होगा तथा इस संदर्भ में किसी भी
विवाद पर विचार नहीं किया जाएगा।
१८. सामान्य श्रेणी के बच्चों
के लिए अधिकतम २५ सम्मान होंगे (वर्तमान में यह संख्या २० है किंतु चूँकि
राष्ट्रीय बाल भवन के राष्ट्र स्तर पर प्रचार के पष्चात् तथा मुख्य सचिवों के
माध्यम से बच्चों को नामांकित किये जाने से प्रतिभागियों की संख्या बढ़ रही है, इसलिए
सामान्य श्रेणी के लिए सम्मान की अधिकतम संख्या बढ़ाने से और अधिक सृजनषील बच्चों
को सम्मानित किया जा सकेगा। इसके अतिरिक्त अनाथ/षारीरिक अथवा मानसिक रूप से अक्षम
तथा जनजातीय बच्चों के लिए इस सम्मान को प्रतिभागिता तथा जनजातीय स्तर के अनुसार
सुरक्षित रखा जाएगा। यदि एक विषेष जरूरत वाले बच्चे तथा एक सामान्य श्रेणी के
बच्चे का मूल्यांकन समान स्तर पर किया जाता है तो विषेष जरूरत वाले बच्चे को
प्राथमिकता दी जाएगी।
१९. बालश्री चयन प्रक्रिया/तिथियों/स्थान आदि के संदर्भ में सभी निर्णय
राष्ट्रीय बाल भवन द्वारा लिये जाएंगे तथा सभी प्रतिभागियों/राज्य बाल भवनों/बाल
भवन केन्द्रों को उन्हीं का अनुसरण करना होगा।
सृजनात्मक बच्चों का चयन कौन करता है?
प्रतिभागियों का मूल्यांकन करने वाले निर्णायक मण्डल के सदस्य उस
विषय क्षेत्र के प्रतिष्ठित सृजनषील व्यक्ति होते हैं, जिस विषय
क्षेत्र के अंतर्गत उन्हें बच्चों का चयन करना होता है तथा
बच्चों के साथ कार्य करने का भी उन्हें अच्छा अनुभव होता है। वे बच्चों के बीच
सृजनात्मकता की चिंगारी को पहचानने तथा कौषल व सृजनात्मकता के बीच भेद कर पाने में
समर्थ होते हैं।
राष्ट्रीय बाल श्री सम्मान भारत के अत्यंत सृजनषील बच्चों को भारत के
महामहिम राष्ट्रपति द्वारा अथवा देष की प्रथम महिला द्वारा राष्ट्रपति भवन में
प्रदान किया जाता है।
चयन
प्रक्रिया
चार विषय क्षेत्रों के
अंतर्गत सृजनषील बच्चों का चयन तीन स्तरों पर किया जाता है :
१. स्थानीय स्तर (संबद्ध बाल भवनों द्वारा)
२. क्षेत्रीय स्तर
(राष्ट्रीय बाल भवन क्षेत्रीय केंद्र निर्धारित करता है)
३. राष्ट्रीय स्तर
(राष्ट्रीय बाल भवन में)
स्थानीय
स्तर
स्थानीय स्तर पर
राष्ट्रीय बाल भवन तथा संबद्ध राज्य बाल भवन क्षेत्र स्तरीय चयन षिविरों के लिए
चयन हेतु एक प्रारंभिक चयन प्रक्रिया संचालित करते हैं। इसके लिए राज्य बाल भवनों
में सदस्य बच्चों के लिए दो दिवसीय षिविर आयोजित किया जाता है। स्थानीय चयन के
पष्चात् ८ बच्चों (प्रत्येक विषय क्षेत्र के अंतर्गत २) को संबद्ध बाल भवनों
द्वारा संबंधित क्षेत्र स्तरीय बाल श्री चयन षिविर हेतु नामांकित किया जाता है। यदि बच्चा
विषेष वर्ग अथवा जनजातीय क्षेत्र से है तो ऐसी स्थिति में एक अतिरिक्त नामांकन भी
भेजा जाता है।
क्षेत्रीय स्तर:
पूरे
देष को विभिन्न क्षेत्रों में विभाजित किया गया है,
जो कि इस प्रकार हैं - उत्तरी, पूर्वी,
पष्चिमी, मध्य तथा दक्षिणी। दक्षिण क्षेत्र
में बाल भवनों की संख्या बहुत अधिक होने के कारण, दक्षिणी
क्षेत्र को पुनः दो क्षेत्रों में विभाजित किया गया है - दक्षिणी क्षेत्र - I तथा
दक्षिणी क्षेत्र-II । प्रतिवर्ष क्षेत्र स्तरीय षिविर को आयोजित करने
के लिए विभिन्न क्षेत्रीय केंद्रों को निर्धारित किया जाता है। कई राज्यों में बाल
भवन नहीं होने के कारण, ऐसे
राज्यों का प्रतिनिधित्व इन राज्यों के मुख्य सचिवों के माध्यम से सुनिष्चित किया
जाता है। स्थानीय स्तरों पर चुने गए बच्चे तीन दिवसीय क्षेत्र स्तरीय षिविरों में
भाग लेते हैं, जहाँ स्थानीय तथा राष्ट्रीय बाल भवन के
विषेषज्ञों द्वारा चयन के दूसरे चरण को संचालित किया जाता है। षिविर से पूर्व
स्थानीय विषेषज्ञों को राष्ट्रीय बाल भवन द्वारा योजना से गहन रूप से अवगत करा
दिया जाता है। तथा दक्षिणी क्षेत्र- II प्रतिवर्ष क्षेत्र स्तरीय षिविर को आयोजित करने के
लिए विभिन्न क्षेत्रीय केंद्रों को निर्धारित किया जाता है। कई राज्यों में बाल
भवन नहीं होने के कारण, ऐसे
राज्यों का प्रतिनिधित्व इन राज्यों के मुख्य सचिवों के माध्यम से सुनिष्चित किया
जाता है। स्थानीय स्तरों पर चुने गए बच्चे तीन दिवसीय क्षेत्र स्तरीय षिविरों में
भाग लेते हैं, जहाँ स्थानीय तथा राष्ट्रीय बाल भवन के
विषेषज्ञों द्वारा चयन के दूसरे चरण को संचालित किया जाता है। षिविर से पूर्व
स्थानीय विषेषज्ञों को राष्ट्रीय बाल भवन द्वारा योजना से गहन रूप से अवगत करा
दिया जाता है।
राष्ट्रीय स्तर
यह अंतिम स्तर है, जहाँ राष्ट्रीय बाल भवन, नई
दिल्ली में चार दिवसीय राष्ट्र स्तरीय षिविर में विभिन्न
क्षेत्रों से चुने गए बच्चों को अपने संबंधित विषय क्षेत्र में अपनी सृजनात्मक
क्षमता सिद्ध करने के लिए एक समान मंच उपलब्ध करवाया जाता है। इस परीक्षण को
संचालित करने के लिए विभिन्न विधाओं के विषेषज्ञों का एक मण्डल गठित किया जाता है।
राष्ट्रीय स्तरीय षिविर के अंतर्गत विषेषज्ञों द्वारा मनोवैज्ञानिक परीक्षण भी
किये जाते हैं। इसके अंतर्गत मौखिक परीक्षण और सृजनात्मकता संबंधी परीक्षण समाहित
रहते हैं। इन परीक्षणों के आधार पर बच्चों का अंतिम चयन किया जाता है।
चयन के मानदण्ड
बच्चों का चयन करते समय, उनकी
प्रक्रिया व प्रस्तुति का मूल्यांकन निम्नलिखित के आधार पर किया जाता है :
(क) मौलिक चिंतन क्षमता
(ख) नवप्रायोगिक दृष्टि
(ग) गतिषीलता
(घ) लचीलापन
(च) भिन्न सोच
(छ) विचारों की व्यापकता
(ज) सृजनात्मक प्रक्रिया के
फलस्वरूप सार्थक प्रस्तुति
(झ) समूह में प्रभावी रूप में
कार्य करने की क्षमता
(ट) विष्लेषणात्मक
व आलोचनात्मक दृष्टिकोण
बच्चों
के चयन हेतु प्रष्नात्मक गतिविधियां
बच्चों
के चयन के लिए दो प्रकार की गतिविधियां संचालित की जाती हैं :
१. विषय क्षेत्र संबंधी प्रष्नात्मक गतिविधियां
२. मनोवैज्ञानिक परीक्षण
विषय
क्षेत्र संबंधी प्रष्नात्मक गतिविधियां :
बच्चों
की सृजनात्मक प्रतिभा की परख के लिए, चारों निर्धारित विषय क्षेत्रों
में व्यापक गतिविधियां संबंधी प्रष्न तैयार किये जाते हैं। ये प्रष्नात्मक अभ्यास
उस विषिष्ट विषय क्षेत्र से संबंधित होने के साथ-साथ विभिन्न आयु वर्गों के अनुरूप
भी होते हैं। ये प्रष्नात्मक अभ्यास निरंतर विकसित हो रहे हैं और बच्चों की
सृजनात्मक क्षमता का अंकन करने के लिए हर बार नई गतिविधियां संचालित की जातीं हैं।
मनोवैज्ञानिक परीक्षण :
सृजनात्मकता
संबंधी मानकीकृत मनोवैज्ञानिक परीक्षण
अंक
विभाजन :
‘प्रक्रिया' व ‘प्रस्तुति'
के बीच अंकों के प्रतिषत का अनुपात
क्षेत्र
|
प्रक्रिया
|
प्रस्तुति
|
आम
सहमति
|
सृजनात्मक प्रदर्षन कला
|
६०%
|
३०%
|
१०%
|
सृजनात्मक कला
|
४०%
|
५०%
|
१०%
|
सृजनात्मक लेखन
|
३०%
|
६०%
|
१०%
|
सृजनात्म वैज्ञानिक नवीकरण
|
४०%
|
५०%
|
१०%
|
इस
प्रकार १०० में से प्राप्त अंकों में से 80% ग्रहण किये जाएंगे तथा द्योष 20% अंक मनोवैज्ञानिक परीक्षणों के
आधार पर जोड़े जाएंगे। पूरी चयन प्रक्रिया के दौरान, यह
सुनिष्चित किया जाता है कि बच्चों को भय-रहित तथा उत्साहयुक्त वातावरण उपलब्ध
करवाया जाए, जिससे कि यह सारी प्रक्रिया उनके लिए एक
आनंददायक अनुभव रहे तथा उनके व्यक्तित्व के विकास का अवसर प्रदान करे।
३९. श्री जे. बी. पाटिल
अध्यक्ष, जयहिंद बाल
भवन,
देवपुर, धुले-४२४००२
महाराष्ट्र
संपर्क : राष्ट्रीय
बाल भवन
कोटला रोड, नई दिल्ली-११०००२
फोन. (०११) २३२३२६७२, २३२३७८५६, २३२३४७०१,
२३२३१५९७
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